हम में से ज्यादातर लोग वेट लॉस के लिए या फिर खुद को बेहतर शेप में स्लिम-ट्रिम रखने के लिए तो डाइट का पूरा ध्यान रखते हैं। लेकिन हमारे शरीर के बाकी हिस्से जिसमें हमारी आंखें और दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण है, उसका क्या? हमारी आंखें बेहतर तरीके से काम कर सकें, इसके लिए उन्हें कई अलग-अलग तरह के विटामिन्स और पोषक तत्व की जरूरत होती है।

खासकर जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है तो इस दौरान आंखों का ख्याल रखना और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि उम्र से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हैं जो हमारी आंखों पर बुरा असर डालती हैं जैसे – डायबिटीज की वजह से होने वाली डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या, उम्र से जुड़ा मैक्युलर डीजेनेरेशन, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि। वैसे तो कई अलग-अलग फैक्टर्स हैं जिनकी वजह से इस तरह की बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन इनमें पोषण की भी अहम भूमिका होती है।

DR. NUSKHE BRAINPRASH
डॉ नुस्खे ब्रेन प्राश मस्तिष्क कोशिकाओं न्यूरॉन्स और उनके संचार को मजबूत करता है।

नींद, एकाग्रता, संज्ञानात्मक कार्यो और संस्मरण कौशल में सुधार करने में मदद करने के लिए एक गैर नशे की लत परीक्षक-मुक्त समाधान है यह मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मदद करता है और चिंता अनिद्रा एकाग्रता की कमी और प्रतिधारण शक्ति का प्रबंदन करता है यह डिमेंशिया,अल्जाइमर पार्किंसंस, मल्टीपल स्केलेरोसिस मिर्गी, पक्षाघात, मेमोरी लॉस और किसी भी न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार में मदद करता है
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ऐसे कई विटामिन हैं जो हमारी आंखों की सेहत को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। इसके अलावा कई एंटीऑक्सीडेंट भी हैं जो शरीर में मौजूद फ्री रैडिकल्स की वजह से होने वाले इन्फ्लामेशन और ऑक्सिडेटिव डैमेज के कारण आंखों को होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। अगर किसी खास तरह के विटामिन की शरीर में कमी हो जाए तो इसकी वजह से भी मोतियाबिंद और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनरेशन जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। कई रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि ऐसे कई विटामिन और मिनरल हैं जो इन बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं।

आंखों का बाहरी आवरण जिसे कॉर्निया कहते हैं उसे मेन्टेन रखकर हमारे विजन को क्लीयर बनाने में अहम भूमिका निभाता है विटामिन ए। अगर व्यक्ति के शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाए और समय पर इसका इलाज न हो तो जीरोफ्थैल्मिया (शुष्काक्षिपाक रोग) नाम की गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। जीरोफ्थैल्मिया, तेजी से बढ़ने वाली आंखों की बीमारी है जिसकी शुरुआत रतौंधी (नाइट ब्लांइनेस) से होती है। अगर विटामिन ए की कमी जारी रहे तो आंखों में मौजूद आंसू की थैली और आंखें सूखने का खतरा बढ़ जाता है।

कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि विटामिन ए से भरपूर डाइट का सेवन करने से मोतियाबिंद और एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनेशन (एएमडी) जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। लिहाजा हमें अपनी डाइट में विटामिन ए से भरपूर चीजों को शामिल करना चाहिए और अगर शरीर में विटामिन ए की ज्यादा कमी हो जाए तो इसके लिए विटामिन ए सप्लिमेंट्स का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है।

कैसे करें इस्तेमाल :
  • करी पत्ते को अच्छी तरह से धो लें।
  • रोज सुबह खाली पेट आठ से दस पत्तियों का सेवन करें।
  • समस्या के दिनों में यह प्रक्रिया रोजाना कर सकते हैं।
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गाजर, लाल शिमला मिर्च, कद्दू, शकरकंद, पालक, केला, लेटस ये कुछ ऐसी सब्जियां है जो विटामिन ए से भरपूर होती हैं। इसके अलावा कॉड लिवर ऑयल, सैल्मन, गोट चीज, क्रीम चीज, अंडा आदि में भी विटामिन ए होता है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड एक प्रकार का पॉलीअनसैचुरेटेड फैट है। हमारी आंखों में मौजूद रेटिना की कोशिका झिल्ली (सेल मेम्ब्रेन) में डीएचए की सघनता अधिक होती है। डीएचए एक विशेष प्रकार का ओमेगा-3 ही है। आंखों की कोशिकाएं बनाने में मदद करने के अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड में एंटी-इन्फ्लामेटरी प्रॉपर्टीज भी होती हैं जो डायबिटिक रेटिनोपैथी की बीमारी को होने से रोकने में मदद करती है।

इसके अलावा बहुत से लोगों में ड्राई आइज यानी आंखों में सूखेपन की भी बीमारी होती है। इसमें आंसू की कमी की वजह से आंखों में धुंधलापन, असहजता और सूखापन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। ऐसे लोगों में आंसू का अधिक उत्पादन करने में भी मदद करता है ओमेगा-3 फैट। अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा को बढ़ाने के लिए हमें अलसी के बीज, चिया के बीज, सोया, नट्स खासकर अखरोट, सैल्मन, टूना और सार्डिन जैसी मछलियां और कैनोला ऑइल जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए।

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