अर्थराइटिस (Arthritis) या गठिया की समस्या काफी सारे लोगों में देखने को मिल रही है। इंडिया डुडे की वेबसाइट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 180 मिलियन गठिया से परेशान हैं और इसके साथ में यह बीमारी पुरूषों की तुलना में महिलाओं  में ज्यादा देखने को मिलती है। इस रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया है कि लोगों  के गठिया का इलाज न कराने के कारण उनमें अन्य बीमारियों जैसे डायबिटीज या टी.बी के होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

यह कथन अर्थराइटिस की स्थिति को बयां करने के लिए काफी है और इसी कारण यह जरूरी है कि लोगों को इस बीमारी की अधिक से अधिक जानकारी दी जाए ताकि वे इसके प्रति सर्तक रह सकें और यदि कभी उन्हें की बीमारी हो जाती है, तो उस स्थिति में वे अपना बेहतर इलाज करा सकें। यदि आप भी अर्थराइटिस की आवश्यक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि हमने इसमें गठिया की पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है।

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क्या है अर्थराइटिस ? (What is Arthritis? – in Hindi)

अर्थराइटिस को आम भाषा में गठिया के नाम से भी जाना जाता है, जिसका तात्पर्य ऐसी बीमारी से है, जिसमें व्यक्ति के जोड़ों में दर्द के साथ सूजन भी आ जाती है। यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए काफी तकलीफदेह होती है क्योंकि इस दौरान उसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। लेकिन, इसके बावजूद यह राहत की बात है कि यदि इसका इलाज समय रहते शुरू कर लिया जाए तो कोई भी व्यक्ति इससे निजात पा सकता है।

अर्थराइटिस के प्रकार क्या हैं? (Types of Arthritis – in Hindi)

इस बात से ज्यादातर लोग अनजान होते हैं कि अर्थराइटिस कई प्रकार के होते हैं और इसी कारण जब उन्हें गठिया की बीमारी होती है, तो वे इस बात को समझ नहीं पाते हैं  कि उन्हें कौन-सा अर्थराइटिस है।

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अर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Arthritis in Hindi)

किसी भी अन्य बीमारी की तरह अर्थराइटिस के भी कुछ लक्षण होते हैं, जो इसकी शुरूआत का संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को ये 5 लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके अपने स्वास्थ की जांच करानी चाहिए-

  1. जोड़ों में दर्द होना- यह अर्थराइटिस का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को जोड़ों में दर्द होता है। हालांकि, इस समस्या का इलाज घुटनोंं की मालिश करके या फिर व्यायाम करके ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक लाइलाज रहे तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
  2. जोड़ों में अकड़न होना- अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि अर्थराइटिस होने पर व्यक्ति के घुटनों  के जोड़ों में अकड़न होती है।
  3. घुटनों में सूजन होना- यदि किसी व्यक्ति में घुटनों में अचानक से सूजन हो जाती है, तो उसे नज़रअदाज़ नहीं  करनी चाहिए और इसकी सूचना डॉक्टर को तुरंत देनी चाहिए।
  4. चलने-फिरने में तकलीफ होना- यह अर्थराइटिस का अन्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को चलने-फिरने में तकलीफ होने लगती है। यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए काफी तकलीफदेह होती है और इस दौरान उसे चलने-फिरने के लिए किसी दूसरे शख्स की जरूरत पड़ती है।
  5. घुटने के दर्द वाले जोड़ों की त्वचा का लाल पड़ना- अर्थराइटिस होने पर लोगों के घुटने के दर्द वाले जोड़ों की त्वचा लाल पड़ जाती है।

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अर्थराइटिस क्यों होती है? (Causes of Arthrits in Hindi)

अर्थराइटिस की बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है और यह निम्नलिखित कारणों से हो सकती है-

  • जोड़ों में चोट का लगना- गठिया या अर्थराइटिस बीमारी होने की संभावना उन लोगों में अधिक रहती है, जिनके घुटनों पर कभी चोट लगी हो। अत: यदि किसी भी व्यक्ति को घुटने की चोट को नज़रअदाज़ न करते हुए उसकी जांच तुरंत  करानी चाहिए।
  • आनुवंशिकी कारण का होना- कुछ बीमारी आनुवंशिकी होती हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के सदस्यों में फैलती रहती हैं। इनमें अर्थराइटिस भी शामिल है, जो उन लोगों को हो सकती हैं, जिनके परिवार में कोई अन्य व्यक्ति इससे पीड़ित रहता है।
  • शरीर में कैल्शियम की कमी का होना- मानव-शरीर को सभी तरह के पौष्टिक पदार्थों की आवश्यकता होती है क्योंकि ये उसे सेहतमंद बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें कैल्शियम भी शामिल है, जिसका मुख्य काम हड्डियों को मजबूत करना है, लेकिन यदि कोई शख्स कैल्शियम युक्त चीज़ों का सेवन नहीं करता है, तो उसे अर्थराइटिस समेत कई सारी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • किसी दवाई का दुष्प्रभाव होना- हमें कोई बीमारी होने पर डॉक्टर हमें कुछ दवाईयां देते हैं। हालांकि, यह हमें ठीक होने में मदद करती हैं, लेकिन इसके साथ में इन दवाईयों के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। इनकी वजह से हमें अर्थराइटिस जैसी कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ सकती हैं।
  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- अर्थराइटिस होने का प्रमुख कारण रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) होना भी है। अत: सभी लोगों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए ताकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो।

अर्थराइटिस का इलाज कैसे करें? (Treatment of Arthrits in Hindi)

आमतौर पर, अर्थराइटिस को एक लाइलाज बीमारी समझा जाता है और इसी कारण इससे पीड़ित लोग अपना इलाज सही तरीके से नहीं करा पाते हैं।

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लेकिन, यदि उन्हें पता होता कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह अर्थराइटिस का भी इलाज संभव है, जिसे वे इन 5 तरीकों से करा सकते हैं, तो शायद वे भी बेहतर ज़िदगी जी पाते-

  1. दवाई लेना- यह अर्थराइटिस का सबसे आसान तरीका है, जिसमें व्यक्ति को कुछ दवाई दी जाती है। ये दवाईयां अर्थराइटिस के दर्द को कम करने और इसके साथ में उसे बढ़ने में भी सहायक साबित होती हैं।
  2. फिजोथेरेपी लेना- कई बार अर्थराइटिस का इलाज फीजियोथेरेपी के द्वारा भी किया जा सकता है। फीजियोथेरेपी के द्वारा शरीर की मांसपेशियों को ठीक करने की कोशिश की जाती है।
  3. योगा करना- अर्थराइटिस के इलाज में योगा भी कारगर उपाय साबित हो सकता है। यदि किसी शख्स को अर्थराइटिस  या गठिया की शिकायत है, तो वह इसका इलाज करने के लिए त्रिकोणासान, वीरासान, गोमुखासान इत्यादि आसान कर सकता  है।
  4. एक्स-रे कराना- कई बार डॉक्टर गठिया का इलाज एक्स-रे के द्वारा भी करते हैं। इसके द्वारा वे मानव-शरीर की आंतरिक तस्वीर लेकर अर्थराइटिस का इलाज किया जाता है।
  5. घुटनों का ऑपरेशन कराना-  जब अर्थराइटिस का इलाज किसी भी तरीके  से नहीं हो पाता है, तब डॉक्टर घुटनों का ऑपरेशन करते हैं।
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