thyroid के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर पीए रोजाना….एक दम ठीक हो जाएगा (बस धनिया देसी हो उसकी सुगन्ध अच्छी हो)
आहार चिकित्सा ***
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी,मौसमी फल, तजि हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |
परहेज:-
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें | अगर आप सफ़ेद नमक (समुन्द्री नमक) खाते है तो उसे तुरन्त बंद कर दे और सैंधा नमक ही खाने में प्रयोग करे
1 – गले की गर्म-ठंडी सेंक
साधन :– गर्म पानी की रबड़ की थैली, गर्म पानी, एक छोटा तौलिया, एक भगौने में ठण्डा पानी |
विधि :— सर्वप्रथम रबड़ की थैली में गर्म पानी भर लें | ठण्डे पानी के भगौने में छोटा तौलिया डाल लें | गर्म सेंक बोतल से एवं ठण्डी सेंक तौलिया को ठण्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर निम्न क्रम से गले के ऊपर गर्म-ठण्डी सेंक करें –
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– ३ मिनट ठण्डी
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक यह उपचार करें | इसे दिन में दो बार – प्रातः – सांय कर सकते हैं |
2- गले की पट्टी लपेट :-
साधन :- १- सूती मार्किन का कपडा, लगभग ४ इंच चौड़ा एवं इतना लम्बा कि गर्दन पर तीन लपेटे लग जाएँ |
२- इतनी ही लम्बी एवं ५-६ इंच चौड़ी गर्म कपडे की पट्टी |
विधि :- सर्वप्रथम सूती कपडे को ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें, तत्पश्चात गले में लपेट दें इसके ऊपर से गर्म कपडे की पट्टी को इस तरह से लपेटें कि नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह से ढक जाये | इस प्रयोग को रात्रि सोने से पहले ४५ मिनट के लिए करें |
3 -गले पर मिटटी कि पट्टी:-
साधन :- १- जमीन से लगभग तीन फिट नीचे की साफ मिटटी |
२- एक गर्म कपडे का टुकड़ा |
विधि :- लगभग चार इंच लम्बी व् तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच मोटी मिटटी की पट्टी को बनाकर गले पर रखें तथा गर्म कपडे से मिटटी की पट्टी को पूरी तरह से ढक दें | इस प्रयोग को दोपहर को ४५ मिनट के लिए करें |
विशेष :- मिटटी को ६-७ घंटे पहले पानी में भिगो दें, तत्पश्चात उसकी लुगदी जैसी बनाकर पट्टी बनायें |
4 – मेहन स्नान

विधि:-
एक बड़े टब में खूब ठण्डा पानी भर कर उसमें एक बैठने की चौकी रख लें | ध्यान रहे कि टब में पानी इतना न भरें कि चौकी डूब जाये | अब उस टब के अन्दर चौकी पर बैठ जाएँ | पैर टब के बाहर एवं सूखे रहें | एक सूती कपडे की डेढ़ – दो फिट लम्बी पट्टी लेकर अपनी जननेंद्रिय के अग्रभाग पर लपेट दें एवं बाकी बची पट्टी को टब में इस प्रकार डालें कि उसका कुछ हिस्सा पानी में डूबा रहे | अब इस पट्टी/ जननेंद्रिय पर टब से पानी ले-लेकर लगातार भिगोते रहें | इस प्रयोग को ५-१० मिनट करें, तत्पश्चात शरीर में गर्मी लाने के लिए १०-१५ मिनट तेजी से टहलें |
योग चिकित्सा ***
उज्जायी प्राणायाम :-
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें | अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |
प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें |
थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा ::
एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं
थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं [ घडी की सुई की उलटी दिशा में ] देना चाहिए | इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए |
विशेष:-
प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें |
पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग मैथेड [ पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें ] से प्रेशर देना चाहिए

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