महाशिवरात्रि को भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन माना जाता है,ऐसे में इस दिन हर शिव भक्त अपनी अपनी श्रद्धा से भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश भी करता है। वैसे तो शिव जी का दूसरा नाम भोलेनाथ भी है, क्योंकि वे अत्यंत भोले होने के साथ ही तुरंत प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। सनातन धर्म में भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत पर माना गया है। ऐसे में इस बार यानि 2021 में 11 मार्च, 2021 (गुरुवार) को महाशिवरात्रि का पर्व पड़ रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है की भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किस तरह से कौन सी चीजें चढ़ाई जाएं।

महिला व पुरुष अपनी सेक्स क्षमता को बढाने के लिये आज हि Dr Nuskhe का Dr Nuskhe Sxont Loose Leaf Tea मंगवाए

https://chat.whatsapp.com/HVSieDiNS360hjOySeqZEg

2021 में महाशिवरात्रि व्रत कब है? (When is Maha Shivaratri in Year 2021)
11 मार्च, 2021 (गुरुवार)

सनातन धर्म के साथ ही धार्मिक कथाओ की मानें तो भगवान शिव को बेलपत्र सबसे प्रिय है,और जो भक्त उन्हें समर्पित करते हैं उनकी हर मनोकामना भोलेनाथ पूर्ण करते हैं। भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने का फल एक करोड़ कन्याओं के कन्यादान के बराबर माना गया है। ऐसे मे अगर आप शिवजी की पूजा करने जा रहे हैं, तो अपने साथ शिव जी को चढ़ाने के लिए बेलपत्र ले जाना न भूलें।

बेलपत्र एक अद्भुत शक्ति का स्त्रोत वाला वृक्ष माना जाता है और इसे सम्पूर्ण सिद्धियों का एक मात्र आश्रय वाला स्थान भी माना गया है। ऐसे मैें अगर आप इस पेड़ के नीचे भगबान शिव की आराधना करते है, तब आपको मिलने वाले फल में अपार वृद्धि होती है और आपको सुख और वैभच की प्राप्ति होती है।

मर्दाना ताकत बढ़ाने का अचूक उपाय है डॉ नुस्खे काली किशमिश, जानें सेवन करने के तरीके
कुछ शारीरिक कमजोरियां जैसे- स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कमजोरी आदि समस्याएं हैं जो मन पर नियंत्रण न होने की वजह से होती है. घर बैठे डॉ नुस्खे काली किशमिश black raisin ऑर्डर करने के लिए click👇 करें मूल्य 555rs (400gm)
आयुर्वेदिक औषधि नुस्खे के ग्रुप में शामिल होने के लिए क्लिक करें

यह भी माना जाता है कि बेलपत्र के वृक्ष के नीचे मां लक्ष्मी का आगमन बना रहता है। इसके अलावा बेलपत्र कर्ण सहित कई रोगों की औषिधि के भी काम आता है। वहीं अगर आप सुबह सुबह सूर्य के लिए जलाभिषेक करते हैं, तब भी आप पूरी डंडी के साथ बेलपत्र को अर्पित कर सकते हैं।

जानकारों का कहना है कि लिंगपुराण के अनुसार चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति काल और सोमवार के दिन के अलावा शिव या किसी देवी देवता को बेलपत्र समर्पित करने के लिए किसी भी तरह का काल या दिन के बारे में जानने की जरूरत नहीं है। क्योंकि भगवान शिव का प्रिय होने की वजह से यह सभी देवी देवताओ को प्रिय है।

ध्यान रहें आप जिस दिन बेलपत्र को भगवान शिव को समर्पित करना चाहते हैं तो आपको पूजा करने वाले दिन से एक दिन पहले ही बेलपत्र को तोड़ लेना चाहिए और उसको घर लाने के पश्चात गंगाजल मैं रख देना चाहिए। ज्ञात हो कि भगवान शिव को चढ़ाने बाले बेलपत्र में तीन से कम पत्ते वाला बेलपत्र मान्य नहीं होता है, साथ ही भगवान शिव को अर्पित करने से पहले भलीभांति जान लें की बेलपत्र किसी तरह से दूषित या फिर खंडित न हो।

बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाने से पहले उसकी डंडी को तोड़ देना चाहिये और एक डंडी में लिपटे हुए तीन या उससे अधिक पत्तों के साथ ही बेलपत्र भगवान शिव को समर्पित करना चाहिए। इसके अलावा बेलपत्र को हमेशा शिवलिंग पर पत्ते की तरफ से बेलपत्र को मुख की तरफ से भगवान शिव को चढ़ाना चाहिए।

माना जाता है कि यदि बिल्व पत्र पर चंदन या अष्टगंध से ॐ, शिव पंचाक्षर मंत्र या शिव नाम लिख कर चढ़ाया जाएं तो सभी मुश्किल इच्छाएं भी पूरी हो जाती है। इसके अलावा कालिका पुराण के अनुसार चढ़े हुए बिल्व पत्र को सीधे हाथ के अंगूठे या तर्जनी ऊंगली से पकड़ कर ही उतारना चाहिए। साथ ही इसे चढ़ाने के लिए सीधे हाथ की अनामिका ऊंगली या अंगूठे का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

// If comments are open or we have at least one comment, load up the comment template.