सर्दियां आते ही बुजुर्गों के ही नहीं, काफी संख्या में युवाओं के जोड़ों में भी दर्द होने लगता है। इस मौसम में तापमान में गिरावट के साथ दर्द कई गुना बढ़ जाता है। प्रकाश हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉ. वी. एस. चौहान कहते हैं कि आजकल ज्यादातर लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत है। हड्डियों के जोड़ों की संरचना बेहद जटिल होती है। इसके कार्टिलेज दोनों सिरों के बीच कुशन का काम करते हैं, लिगामेंट जोड़ों को एक दूसरे से बांध कर रखते हैं और मांसपेशियां इस संरचना को सहारा देती हैं। उम्र बढ़ने और सर्दियां आने पर दिक्कत और बढ़ती है। ऐसे में इन दिनों जोड़ों का ज्यादा ध्यान रखना जरूरी होता है।  

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क्या है जोड़ों का दर्द
काफी समय बैठे रहने से, सफर करने से या उम्र बढ़ने से हमारी हड्डियां अकड़ जाती हैं या दर्द करने लगती हंै। इसे हम जोड़ों का दर्द या ज्वाइंट पेन कहते हैं। शरीर के ऐसे हिस्से, जहां दो हड्डियां मिलती हों, जोड़ कहलाते हैं। यह दर्द घुटने, कंधे, कोहनी,  गर्दन, बाजू और कूल्हे में हो सकता है। जोड़ों में दर्द की कई और वजहें हैं। लिगामेंट, कार्टिलेज या टेंडोंस में से किसी भी संरचना में चोट के कारण भी दर्द हो सकता है।

 

 

 

इस दर्द के कारण
जोड़ों की समस्या शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण होती है। भोजन में कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं, जो इस एसिड को बढ़ाने का काम करते हैं। इससे एक तरफ जहां गुर्दा प्रभावित होता है, वहीं दूसरी तरफ जोड़ों की समस्या शुरू हो जाती है। यूरिक एसिड शरीर के जोड़ों में जाकर वहां छोटे-छोटे क्रिस्टल का रूप लेता है। इसके बाद सूजन, दर्द और ऐंठन की समस्या शुरू हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ हमारी हड्डियां भुरभुरी व खोखली होती जाती हैं। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ ज्वाइंट पेन की समस्या गहराने लगती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद यदि किसी को बीपी, हृदय रोग, शुगर है या ्त्रिरयों को रजोनिवृत्ति मिल चुकी है तो उनकी यह परेशानी उम्र के साथ बढ़ सकती है। इसके अलावा हड्डियों में मिनरल यानी खनिज की कमी होना, आथ्र्राइटिस, कार्टिलेज का घिस जाना भी कारण हो सकता है।

कैसे हो पहचान
अगर आपके जोड़ों में यह दर्द सूजन, लालिमा और कोमलता के साथ होता है या तीन दिनों से अधिक समय तक रहता है तो आपको अपने डॉक्टर से भी परामर्श लेना चाहिए।

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सर्दियों की बड़ी समस्या
डॉ. वी. के. चौहान के मुताबिक, बदलता मौसम, हवा में हल्की ठंडक, सुबह में थोड़ी-सी ठिठुरन आदि जोड़ों के दर्द के लिए पहले ही आगाह कर देते हैं। तापमान में उतार-चढ़ाव होने पर जोड़ों के आसपास की नसों में सूजन हो जाती है, जिससे दर्द बढ़ता है। आथ्र्राइटिस के मरीजों के लिए भी यह मौसम बुरी खबर लाता है।

बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित
उम्र के साथ हड्डियों की समस्या बढ़ती जाती है। इस कारण बुजुर्गों में यह समस्या अधिक गंभीर होती है। दिन-रात दवा खाने से भी उन्हें कोई आराम नहीं मिलता। कभी-कभी उन्हें इतना ज्यादा दर्द होता है कि वे ठीक से सो भी नहीं पाते। उनके घुटनों में सूजन तक आ जाती है।

कैसे हो बचाव
उम्र के बढ़ने के साथ हड्डियों में कमजोरी आ जाती है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे हड्डियां भी मजबूत हो जाएं और मांशपेशियां भी शिथिल न हों। इसके लिए पौष्टिक खानपान जरूरी है। उसमें खनिज तत्व कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। दूसरी जरूरत विटामिन डी की है, जिसकी प्राप्ति के लिए धूप का सेवन जरूरी है। इसके अलावा व्यायाम भी जरूरी होता है।

योग और व्यायाम
योगाचार्य दीपक कुमार झा कहते हैं कि योग और व्यायाम से रक्त संचार बढ़ता है और गर्म खून शरीर के हर हिस्से तक पहुंचता है, जिनमें शरीर के जोड़ भी शामिल हैं। स्वस्थ रक्त संचार आपके जोड़ों को लचीला और गर्म रखेगा, ताकि आपको दर्द महसूस न हो। ठंड में भी नियमित योग के साथ जॉगिंग और मॉर्निंग, ईवनिंग वॉक करना चाहिए।

बदलें खानपान
कोई भी मौसम हो, संतुलित आहार की जरूरत हमेशा होती है। संतुलित आहार में फल, सब्जियां, दालें, अनाज और डेयरी उत्पाद शामिल होने चाहिए। ठंड के दिनों में सभी मौसमी फल व सब्जियां अपने खाने में शामिल करें, ताकि आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन और खनिज मिलता रहे। भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें। कच्ची भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं।

मालिश और हीट थेरेपी
वैदिक ग्राम नोएडा के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राघवन कहते हैं, कई रिसर्च में पाया गया है कि नियमित मालिश करने से ज्वाइंट पेन को आराम मिलता है। अगर आप ज्वाइंट पेन से परेशान हैं तो प्रभावित क्षेत्र में मालिश करने के लिए नारियल, जैतून, सरसों, अरंडी या लहसुन के तेल का इस्तेमाल करें, जिसे हल्का गर्म करके कोमल दबाव डालते हुए हाथ से कुछ समय के लिए मालिश करें। जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए हीट थेरेपी भी बहुत लाभदायक साबित होती है।

खूब पिएं पानी
अकसर हम जोड़ों की सेहत के मामले में पानी के महत्व को नजरअंदाज करते हैं। जोड़ों के बीच के कार्टिलेज, जो हड्डियों के सिरों को घिसने से बचाते हैं, सेमी सॉफ्ट टिश्यू होते हैं, जिन्हें मुलायम रखना जरूरी होता है। इसके लिए पर्याप्त नमी की जरूरत होती है। इसलिए ठंड के दिनों में भी पानी पीना कम न करें। एक बार में अधिक पानी बिल्कुल न पिएं।

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इन बातों को रखें याद
0 जोड़ों के दर्द से बचने के लिए खान-पान का खास ख्याल रखें।
0 विटामिन बी जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।
0 विटामिन बी3, नाइसिन युक्त पदार्थ जैसे मीट, मछली, चीज खाएं।
0 विटामिन बी5, पेंटोथेनिक एसिड युक्त पदार्थ जैसे मीट, अंडे, सोयाबीन, दलिया, साबुत अनाज, दाल व मूंगफली को अपने खाने में नियमित रूप से शामिल करें।
0 विटामिन बी6 जैसे साबुत अनाज, केला, सोयाबीन, दलिया, मीट, मछली आदि खाने से भी जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
0 जोड़ों में दर्द का बने रहना।
0 अकसर सुबह के समय जोड़ों में अकड़न।
0 जोड़ का सीमित उपयोग ही हो पाना या तेज दर्द करना।
0 जोड़ों के आसपास गर्माहट महसूस होना।
0 जोड़ों के आसपास की त्वचा पर लालीपन होना।
0 चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने, यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द रहना।
0 चलने पर या गति करते समय जोड़ों का लॉक हो जाना और फिर दर्द होना।
0 जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन रह सकता है।

फिजियोथेरेपी से भी मिलता है आराम
फिजियोथेरेपी से मांसपेशियों और पैरों की नसों को मजबूत एवं जोड़ों को लचीला बनाने में मदद मिलती है। ठंड में जोड़ों में अकड़न बढ़ जाती है। ऐसे में यह गर्माहट गतिशीलता और दर्द से राहत बढ़ाने में मददगार होती है। अपने जोड़ों को उनके हाल पर न छोड़ें। किसी अच्छे अस्थिरोग विशेषज्ञ से मिलें। जरूरी हो तो जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी भी कराई जा सकती है।

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