डायबीटीज के मरीज आजकल युवा भी हो रहे हैं, जिसकी बड़ी वजह गलत खानपान व लाइफस्टाइल है। इस बीमारी के कारण व्यक्ति को अपना शुगर लेवल लगातार चेक करते रहने के साथ ही उसे कंट्रोल में रखना पड़ता है। इसमें कुछ घरेलू उपचार काफी काम आ सकते हैं।

1. गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोज सुबह-शाम पीने से डायबिटीज में लाभ होता है।

2. तुलसी के पत्तों में एन्टीऑक्‍सीडेंट व बाकी जरूरी तत्व मौजूद होते हैं, जिनसे इजिनॉल, मेथिल इजिनॉल और कैरियोफ़ैलिन बनते हैं। ये सारे तत्व मिलकर इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। डायाबीटीज के स्तर को कम करने के लिए रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट लें। आप इसका जूस भी ले सकते हैं।

3. ब्लड शुगर के स्तर को कम रखने के लिए एक महीने तक अपने प्रतिदिन के आहार में 1 ग्राम दालचीनी शामिल करें।

4. गर्म पानी में ग्रीन टी का एक बैग 2-3 मिनट तक डुबोकर रखें। फिर बैग निकाल दें और इस चाय का एक कप सुबह या भोजन के पहले सेवन करें।

5. ड्रमस्टिक (अमलतास) की कुछ पत्तियां धोकर उनका रस निकालें। एक चौथाई कप रस लें तथा ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसे पी लें।

6. डायबीटीज पर कंट्रोल करने के लिए नीम की पत्तियों का रस खाली पेट पीना चाहिए। नीम इन्सुलिन संग्राहक संवेदनशीलता को बढ़ाता है, रक्त वाहिकाओं को प्रसारित करके रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है, ब्लड ग्लूकोज़ के लेवल को कम करता है और हाइपोग्लास्मिक औषधियों पर निर्भरता कम करता है।

7. डायबीटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होती है। सौंफ खाने से डायबीटीज नियंत्रण में रहता है। नियमित तौर पर खाने के बाद सौंफ खानी चाहिए।
8. 10 मिलीग्राम आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पाउडर में मिलाकर सेवन सरने से डायबीटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए।

9. डायबीटीज के रोगियों को काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
10. करेले का रस शुगर की मात्रा कम करता है। डायबीटीज पर नियंत्रण पाने के लिए करेले का रस नियमित तौर पर पीना चाहिए।
11. 6 बेलपत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत कालीमिर्च पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लेने से डायबीटीज पर कन्ट्रोल किया जा सकता है। ध्यान रहे, इसे पीने के बाद कम से कम आधे घंटे तक कुछ भी न खाएं।
12. टमाटर,खीरा और करेले का मिक्स जूस सुबह-सुबह खाली पेट पीने से भी डायबीटीज में बहुत फायदा होता है।
13. शलजम के प्रयोग से भी ब्लड शुगर कम होती है। इसके अलावा डायबीटीज के मरीज को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए।

14. प्रतिदिन सुबह खाली पेट अलसी का चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से डायबीटीज को कम किया जा सकता है। अलसी में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण यह फैट और शुगर का उचित अवशोषण करने में सहायक होता है। अलसी के बीज डाइबीटीज़ के मरीज़ की भोजन के बाद की शुगर को लगभग 28 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।

15. मेथी के दाने रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में डालकर रख दें। सुबह उठकर खाली पेट इस पानी को पिएं और साथ में मैथी के दाने चबाएं। नियमित तौर पर ऐसा करने से डायबीटीज कन्ट्रोल हो जाएगी।

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

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मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड) – अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दालचीनी – दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स काफी होते हैं। ये पॉलीफिनोल्स एक मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व होते हैं, इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।

नीलबदरी के पत्ते – आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्ते का उपयोग मधुमेह के उपचार में सदियों से होता रहा है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के मुताबिक इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस काफी मात्रा में होते हैं जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज़ को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।

सहजन के पत्ते – सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है। इसके पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैलशियम और दो गुना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के रोगियों द्वारा सहजन के पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।

करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

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सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.

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