अपने एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण अजवाइन गैस बनने, पेट दर्द, सर्दी-जुकाम जैसी तकलीफों के इलाज के लिए हर घर में इस्तेमाल की जाने वाली एक कारगर जड़ी-बूटी है। आइए जानते हैं इसके घरेलू उपायों के बारे में पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए अजवाइन और हरड़ को बराबर मात्रा में पीस लें। हींग और सेंधा नमक स्वादानुसार मिलाकर चूर्ण बना कर किसी बोतल में भर लें। इस चूर्ण का एक चम्मच गर्म पानी के साथ लें। 10 ग्राम पुदीने का चूर्ण, 10 ग्राम अजवाइन और 10 ग्राम कपूर एक साफ बोतल में डालकर धूप में रखें। तीनों चीजें गलकर पानी बन जाएंगी। इसकी 5-7 बूंदें बताशे के साथ खाने से मरोड़, पेट दर्द, जी मिचलाने जैसी समस्या में लाभ होगा।

कब्ज होने पर 10 ग्राम अजवायन, 10 ग्राम त्रिफला और 10 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना इसमें से 3 से 5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें, बहुत जल्द ही आराम होगा।

अपच होने पर एक कप पानी में एक चम्मच अजवाइन के बीज उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। एक ग्राम अजवाइन में एक चुटकी नमक मिलाकर चबा-चबा कर खाने से पेट में बनी गैस से होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है। तीन चम्मच अजवाइन के बीजों में नीबू का रस और थोड़ा सा काला नमक मिलाएं। इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार खाएं। आधा लीटर पानी में एक-एक चम्मच अजवाइन और सौंफ के बीज डाल कर धीमी आंच पर पकाएं। ठंडा होने के बाद भोजन के बाद हर रोज पिएं।

एक कप छाछ के साथ एक चम्मच अजवाइन खाने से सर्दी-जुकाम के कारण बनने वाले कफ में राहत मिलती है। एक चम्मच अजवाइन के दानों को हाथ से मसल कर बारीक कर लें और इसे थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर टॉफी की तरह चूसकर सेवन करें, लाभ होगा। एक मुलायम कपड़े में थोड़ी सी अजवाइन डाल कर पोटली बना लें। इसे तवे पर गर्म कर चेस्ट की सिकाई करें, आराम मिलेगा।

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एसिडिटी की समस्या होने पर एक गिलास गर्म पानी में एक-एक चम्मच जीरा और अजवायन मिलाकर उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। गर्म पानी के साथ सोंठ, अजवाइन और काला नमक मिलाकर खाने से आराम मिलता है। अजवाइन और काले नमक को छाछ के साथ मिलाकर सेवन करें, लाभ होगा।

एक कप पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन और थोड़ा सा नमक उबालें। पानी गुनगुना रह जाए तो उसे मुंह में लेकर कुछ देर रोकें और फिर कुल्ला कर फेंक दें। ऐसा दिन में तीन बार करें। अजवाइन भून कर पीस लें। इस तैयार चूर्ण से मंजन करने पर मसूढ़ों की बीमारियों में आराम मिलता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बेहतर लाभ के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

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12 घंटे बाद -धूम्रपान से दूरी बनाने के 12 घंटे के बाद खून में कॉर्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में कमी आने लगती है, यह गैस हृदय सहित अन्य अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करती है।
-व्यक्ति को सिरदर्द, मिचली, एकाग्रता में कमी, झुंझलाहट और आंखों के सामने धुंधलापन छाने की शिकायत भी सता सकती है, अंगों के खराब होने का जोखिम भी बना रहता है।

24 घंटे बाद -रक्त प्रवाह, हृदयगति, ब्लड प्रेशर का स्तर सुधरने से हृदय सामान्य रूप से काम करने लगता है और हार्ट अटैक से मौत के खतरे में आने लगती है।
-हालांकि, इस दौरान खांसी की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि शरीर फेफड़ों में जमे कफ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।

48 घंटे बाद -नाक और मुंह की निष्क्रिय नसों के एक बार फिर सक्रिय हो जाने से व्यक्ति की स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता लौट आती है।
-हालांकि, यह समय संयम बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि खून में निकोटीन का स्तर गिरने से सिगरेट की तलब बढ़ जाती है।

72 घंटे बाद -फेफड़ों में सूजन घटने से श्वासगति में सुधार आता है, श्वासनली भी खुलना शुरू हो जाती है।
-कफ और कीटाणुओं को श्वासनली में जमने से रोकने वाले ‘सीलिया’ भी दोबारा पनपने लगते हैं।

एक हफ्ते बाद -निकोटीन की तलब शांत होने लगती है, कफ का उत्पादन घटने और ‘सीलिया’ के सक्रिय होने से खांसी की समस्या से भी निजात मिलती है।

एक महीने बाद -फेफड़ों की कार्य क्षमता में 30 फीसदी तक का सुधार आता है, चलने-फिरने, सीढ़ियां चढ़ने या कसरत करने के दौरान सांस जल्दी नहीं फूलती।

एक साल बाद -धूम्रपान करने वाले लोगों के मुकाबले हार्ट अटैक से जान जाने का जोखिम 50 फीसदी तक घट जाता है, सर्दी-जुकाम, खांसी के प्रति संवेदनशीलता भी घटती है।

दस साल बाद -फेफड़ा रोगों का शिकार होने की आशंका आधी रह जाती है, नसें खुलने के साथ ही खून के खक्के जमने के खतरे में उल्लेखनीय कमी आती है।

15 साल बाद
-हायेस ने बताया कि सिगरेट छोड़ने के 15 साल बाद व्यक्ति के हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों से दम तोड़ने का खतरा धूम्रपान करने वालों के बराबर हो जाता है।

खतरनाक
-तंबाकू दुनियाभर में हर साल 81.2 लाख लोगों की जान लेता है।
-70 लाख मौतें इनमें से तंबाकू का सीधे इस्तेमाल करने से होती हैं।
-12 लाख मासूम सिगरेट के धुएं के संपर्क में आकर दम तोड़ देते हैं।
-80% तंबाकू की लत के शिकार लोग गरीब-विकासशील देशों में रहते हैंa

डायबिटीज में लाभकारी –हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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दूध के साथ हल्दी का सेवन 
हल्दी, मंजिष्ठा, गेरू, मुलतानी मिट्टी, गुलाब जल, एलोवेरा एवं कच्चे दूध को मिलाकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है। हल्दी वाला दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है।

यदि आप नजले, जुकाम, खांसी से परेशान हैं, तो गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं, इससे लाभ होगा।
रोज सुबह खाली पेट गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करें, तो शरीर के दर्द, पेट के रोग आदि से छुटकारा पा सकते हैं।

रक्त की सफाई करे हल्दी 
हल्दी के सेवन से रक्त साफ होता है।  इसके सेवन से रक्त में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। अगर चोट लगने पर तेजी से खून बह रहा है, तो आप उस जगह तुरंत हल्दी डाल दें।  इससे खून बहना रुक जाएगा।

स्त्रियों के लिए हल्दी का उपयोग 
महिलाओं में होने वाले श्वेत प्रदर या ल्युकोरिया जैसे रोगों में हल्दी अत्यंत गुणकारी औषधि है। इसके लिए पांच ग्राम हल्दी और अंजीर के तीन टुकड़े का सेवन करने से लाभ होता है।

’हल्दी, खाने वाला चूना और शहद का लेप  बना कर इसे मोच, ऐंठन, चोट  या शरीर में आई सूजन वाली जगह पर लगाने से तुरंत लाभ होता है।
’एनीमिया, पीलिया, बवासीर, सांस के रोग और लगातार हिचकी आने की स्थिति में हल्दी और काली मिर्च के धुएं  को सूंघने से लाभ होता है।

अनियमित पीरियड्स- अनियमित या लंबे समय तक दर्द के साथ पीरियड्स का रहना PCOS का सबसे आम संकेत है. जैसे, साल में 9 पीरियड्स से कम होना, दो पीरियड्स के बीच में 35 दिनों से ज्यादा का अंतराल और असामान्य रूप से बहुत ज्यादा पीरियड होना.

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’चर्म रोगों में एक चम्मच कच्ची हल्दी और एक चम्मच आंवले के रस को पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
’देसी घी से यदि दुर्गंध आ रही हो, तो उसे दूर करने के लिए हल्दी के पत्तों को पीसकर घी के साथ उबाल लें। इसके बाद इसे छान लें। इससे घी की दुर्गंध दूर हो जाएगी।
’खुजली, दाद या त्वचा पर चकत्ते पड़ जाने पर हल्दी को गौ मूत्र के साथ मिलाकर इसका लेप प्रभावित जगह पर लगाएं, इससे जल्द आराम मिलेगा।

मोटापा दूर करे 
मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।

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मौसमी रोगों में फायदेमंद
’हल्दी की गांठों को नियमित रूप से चूसने से खांसी में राहत मिलती है। खांसी में हल्दी को भूनकर आधा चम्मच शहद या देसी घी के साथ खाने से भी लाभ होता है।
’जुकाम होने पर हल्दी पाउडर या हल्दी की गांठ को चूल्हे पर गर्म कर इससे निकलने वाले धुएं को सूंघें, लाभ होगा।
’सिरदर्द होने या चक्कर आने पर हल्दी का लेप सिर पर लगाने से लाभ होता होता है।
बरतें सावधानी

हल्दी का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में ही करना चाहिए। विशेष स्थिति में आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से इसका सेवन करना चाहिए।

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कुछ दिन बाद मुझे ऑनलाइन एक शख्स मिला। इस शख्स की लंबी दाढ़ी थी और सिर पर लंबे बाल थे। ये शख्स उस फल को लाने के लिये हमेशा कोंगो के जंगलों में आता जाता रहता था। मैंने उससे बात की और कुछ कम पैसों में ही उसे मना लिया। कुछ दिन बाद उसने मेरे घर उस जादुई फल का थोड़ा सा मिश्रण भिजवा दिया। जब ये मिश्रण आया तो मैं काफी नर्वस था। मैं अंदर से डरा हुआ था, लेकिन मुझे ये भी पता था कि मेरे पास खोने के लिये कुछ नहीं है। फिर उस रात बड़ी हिम्मत करके मैंने इसे खाना शुरू कर दिया।

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एक हफ्ते बाद, मैं हर रोज की तरह सुबह उठा और शीशे की तरफ जाने लगा। मुझे पता था कि रोज की तरह आज भी मुझे शीशा निराश ही करेगा। जैसे ही मैंने अपने सिर की तरफ थोड़ा ध्यान दिया तो मेरी आंखे खुली की खुली रह गईं। क्या ये सच था… मेरे सिर पर बाल फिर से उग रहे थे।

मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था, लेकिन ये डर भी मेरे दिल में था कि कहीं ये नए बाल कुछ वक्त के लिये ही ना हों.ऐसा ना हो कि ये जैसे उगे हैं वैसे गिर भी जाएं ? इसी शक को दूर करने के लिये मैंने बाल उगाने के इस एक जादुई फॉर्मूले को अगले हफ्ते भी खाना जारी रखा।

अद्भुत! दूसरा हफ्ता आते आते मेरा सिर जहां-जहां से गंजा हो चुका था, वो छोटे छोटे नए बालों से भरने लगा! मैं पूरी तरह से शॉक्ड था, नए बाल और वो भी सिर्फ 2 हफ्ते में ? मैंने बतौर डॉक्टर और बाल झड़ने वाले शख्स के तौर पर इतने सालों में ये पहली बार देखा था।

सबसे बढ़िया पार्ट तो तब आया जब मैं इस हेयर री-स्टोरेशन ट्रिक को इस्तेमाल करते तीसरे हफ्ते में पहुंच गया। मैं और मेरी पत्नी दोनों शॉक्ड रह गए, जब हमने देखा कि मेरी हेयरलाइन फिर से बालों से भर गई है और जहां जहां से बाल टूट रहे थे वहां पर वो घने हो गए हैं, ऐसा सालों में पहली बार हुआ था। मेरे बाल क्या उगना शुरू हुए मेरी पत्नी का मेरी तरफ व्यवहार बिलकुल बदलने लगा, मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरी लव लाइफ इतनी अच्छी हो गई जितनी कभी भी नहीं थी।

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बाल बढ़ाने के इस एक चमत्कारी तकनीक पर मैंने पहले दिन से भरोसा किया। मैंने इसे बिना भूले इस्तेमाल किया और उसका बोनस ये मिला कि मेरा अटरैक्टिव लुक मुझे वापस मिल गया। काम करते वक्त अस्पताल की खूबसूरत लड़कियां अब जानबूझकर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझसे फ्लर्ट करती हैं। हमारी रिसेप्सनिष्ट अब रात को 9 बजे मुझे किसी भी बहाने से मैसेज भेजकर बात करने की कोशिश करती है। नर्सें तो मुझे कहतीं कि आप अपने नए बालों में बहुत “सेक्सी” लग रहे हो, हमारे साथ भी कभी फिल्म देखने चलो। मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में इतना कॉन्फिडेंट फील नहीं किया था। संडे के दिन जब मैं अपना पुराना हेयरस्टाइल बनाकर फिल्म देखने गया तो मेरे सभी दोस्त हैरान रह गए। कुछ दोस्तों ने जब मुझे पहली बार देखा तो वो पहचान भी नहीं पाए और हो भी क्यों ना ये सब इतनी जल्दी हुआ था कि मुझे खुद विश्वास नहीं हो रहा था।

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बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।

भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

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